बनारसी आँवले का मुरब्बा एक नग अथवा नीचे लिखी विधि से बनाया गया बारह ग्राम (बच्चो के लिए आधी मात्रा) ले। प्रात: खाली पेट खूब चबा-चबाकर खाने और उसे एक घंटे बाद तक कुछ भी न लेने से मस्तिक के ज्ञान तंतुओं को बल मिलता है और स्नायु संस्थान (Nervous System) शक्तिशाली बनता है।
विशेष-
(1) गर्मी के मौसम में इसका सेवन आधिक लाभकारी है। इस मुरब्बे को यदि चाँदी के बर्क में लपेटकर खाया जाय तो दाह, कमजोरी तथा चक्कर आने की शिकायत दूर होती है। वैसे भी आँवला का मुरब्बा शीतल और तर होता है। और नेत्रों के लिए हितकारी, रक्तशोधक, दाहशामक तथा ह्रदय, मस्तिक, यकृत
आंते, आमाशय को शक्ति प्रदान करने वाला होता है। इसके सेवन से स्मरणशक्ति तेज होती है। मानसिक एकाग्रता बढ़ती है। मानसिक दुर्बलता के कारण चक्कर आनेकी शिकायत दूर होती है। सवेरे उठते ही सिर दर्द चालू हो जाता है और चक्कर भी आते हो तो भी इससे लाभ होता है। आजकल शुध चाँदी के वर्क आसानी से नहीं मिलते अत: नकली चाँदी के वर्क का इस्तेमाल न करना ही अच्छा है। चाय-बिस्कुट की जगह इसका नाश्ता लेने से न केवल पेट ही साफ रहेगा बल्कि शारीरिक शक्ति, स्फूर्ति, एंव कांति में भी वृधि होती। निम्न विधि से निर्मित आँवला मुरब्बा को यदि गर्भवती स्त्री सेवन करें तो स्व्यं भे स्वस्थ रहेगी और उसकी संतान भे स्वस्थ होगी। आँवले के मुरब्बे के सेवन से रंग भी निखरता है।
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