skip to main |
skip to sidebar
मुखपाक
चार ग्राम फूले हुए सुहागे का बारीक चूर्ण, छ: ग्रेन (तीन रत्ती) कपूर, बारह ग्राम ग्लीसरीन में मिश्रित कर किसी शीशी में भर लें और आवश्यकता के समय मुँह के भीतर घाव पर लगायें। शीघ्र लाभ होगा। जीभ, होठ और मुँह के छालों और घावो के लिए जिसे मुँह का आ जाना कहते है, यह श्रेष्ठ दवा
No comments:
Post a Comment