शुष्क धनिया (दाना) को मोटा-मोटा कूट कर इसका छिलका अलग करें और बीजों के अन्दर की गिरी निकालकर 300ग्राम धनिया की गिरी तथा 300ग्राम मिश्री या चीनी लें । दोनो को अलग-अलग पीसकर आपस मिला लें । बस दवा तैयार है ।
सेवन विधी - प्रात: सायं छ:-छ: ग्राम की मात्रा से यह चूर्ण बासी पानी के साथ दिन दो बार लें । प्रात: बिना कुछ खायें पींये रात को बासी पानी से छ: ग्राम फाँक लें और तत्पश्चात एक-दो घंटे तक और कुछ न खाएँ। इसी प्रकार छ: ग्राम दवा शाम 4 बजे लगभग प्रात: के रखे पाने के साथ फाँक लें। रात का भोजन इसके दो घंटे पश्चात करें। यह मूत्राशय की जलन दूर करने में अदिव्तीय हैं। आवश्यकतानुसार तीन दिन से इक्कीस दिन तक लें।
विशेष - मूत्राशय की जलन के अतिरिक्त वीर्य की उत्तेजना दूर करने में यह प्रयोग अचूक हैं। स्वप्नदोष की बीमारी में इसकी पहली दो खुराकों से ही लाभ प्रतीत होगा। इसे इस बीमारी में तीन दिन से सात दिन तक लेना चाहिए।
इस औषधि के सेवन से जहाँ प्रमेह नष्ट होता है, वहाँ प्रमेह, स्वप्न दोष या यौन अव्यवस्थाओं के परिणामस्वरुप होने वाले रोगों जैसे नजर की कमजोरी, धुंधलाहट, सिर दर्द, चक्कर, नींद न आना आदि में अत्यंत हितकर है और पोटेशियम ब्रोमाइड की तरह दिल और दिमाग को कमजोर नहीं करती बल्कि इन्हें बल मिलता हैं।
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